लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा वाक्य
उच्चारण: [ leksemipersaad devekotaa ]
उदाहरण वाक्य
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- लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा की मूर्ति पर फूल मालाएं चढाने के
- इस भाषा के महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा है।
- इस भाषा के महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा है।
- यह महाकाव्य झ्याउरे छन्द मै नेपाली भाषा का महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा ने लिखा था।
- जम्मा डाउनलोड: मधुपर्क (वर्ष ४२, अंक ६, २०६६ कात्तिक)-महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा शतवार्षिकी विशेषाङ्क
- इस काव्य के मद्दत से लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा ने पैसा का लालच तथा जात प्रथा का विरोध किया था।
- प्रथम खेमे के निबंधकारों में पारसमणि प्रधान, रुद्रराज पांडेय, सूर्यविक्रम ज्ञवाली, बाबुराम आचार्य, लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा तथा बालकृष्ण सम के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
- प्रथम खेमे के निबंधकारों में पारसमणि प्रधान, रुद्रराज पांडेय, सूर्यविक्रम ज्ञवाली, बाबुराम आचार्य, लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा तथा बालकृष्ण सम के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
- लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा ने माइकेल मधुसूदन दत्त के “मेघनाथ वध” महाकाव्य के ढंग के सुलोचना महाकाव्य की रचना कुछ ही दिनों में कर डाली थी।
- फिर भी कुछ लेखक जैसे लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा, बालकृष्ण सम, भवानी भिक्षु आदि सामाजिक अत्याचार के प्रति सजग होकर लिखने लग गए थे।
- परिषद् के अनुरोध पर 1951 के आसपास नेपाल के प्रतिष्ठित साहित्यकार बालकृष्ण सम, लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा और बालचन्द्र शर्मा गंगटोक भ्रमण के लिए आए थे।
- महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा ने माइकेल मधुसूदन दत्त के “मेघनाथ वध” महाकाव्य के ढंग के सुलोचना महाकाव्य की रचना कुछ ही दिनों में कर डाली थी।
- लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा कृत सावित्री सत्यवान, रुद्रराज पांडेय का “प्रेम”, हृदय चंद्र सिंह प्रधन का “छेउ लागेर” (एकांकी संग्रह), श्यामदास वैष्णव का “चेतना” “पसल”, “फुटैको बांध” आदि बहुत प्रसित्र नाटक हैं।
- लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा कृत सावित्री सत्यवान, सरदार रुद्रराज पांडेय का “प्रेम”, हृदय चंद्र सिंह प्रधान का “छेउ लागेर” (एकांकी संग्रह), श्यामदास वैष्णव का “चेतना” “पसल”, “फुटेको बांध” आदि बहुत प्रसिध्द नाटक हैं।
- नेपाल में उस दौरान कवि शिरोमणि लेखनाथ, बालकृष्ण सम, लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा, सिद्धिचरण श्रेष्ठ प्रभृत्ति अनेक प्रतिभाशाली व्यक्ति साहित्याकाश में चमक रहे थे तो दार्जिलिङ में धरणीधर, सूर्यविक्रम ज्ञवाली, पारसमणि प्रधान, रूपनारायण सिंह, अ च्छा राई रसिक, रामकृष्ण शर्मा प्रभृत्ति साहित्यकार सक्रिय थे।
- यह देखकर नेपाली साहित्य के महाकवि स्व. लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा की 'यात्री' कविता की पंक्तियाँ ः कुन मन्दिरमा जान्छौ यात्री-कुन मन्दिरमा जाने हो-कुन सामग्री पूजा गर्ने-साथ कसोरी लाने हो-मानिसहरुको काँच चढी कुन देवपुरीमा जाने हो-मानस में बार-बार कौंध जाती थी ।
- राणाशाही का अंत होने के पूर्व उससे लोहा लेने वाले और उसके बाद नयी चेतना का प्रतिनिधित्व करनेवाले साहित्यकारां में लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा तथा मास्टर हृदय चंद्र सिंह प्रधान के अतिरिक्त नेपाली साहित्य के भीष्मपितामह कवि शिरोमणि लेखनाथ पौडेल, पंडितराज सोमनाथ सिग्द्याल और पंडित धरणीधर कोइराला के अतिरिक्त बालकृष्ण “सम”, भवानी भिक्षु, सिद्धिचरण श्रेष्ठ, “केदारमान” व्यथित, भीमनिधि तिवारी, माधव प्रसाद धिमिरे, प्रेमराजेश्वरी थापा, विजयबहादुर मल्ल, ऋषभदेव शास्त्री आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
- राणाशाही का अंत होने के पूर्व उससे लोहा लेने वाले और उसके बाद नयी चेतना का प्रतिनिधित्व करनेवाले साहित्यकारां में लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा तथा मास्टर हृदय चंद्र सिंह प्रधान के अतिरिक्त नेपाली साहित्य के भीष्मपितामह कवि शिरोमणि लेखनाथ पौडेल, पंडितराज सोमनाथ सिग्देल और पंडित धरणीधर कोइराला के अतिरिक्त बालकृष्ण “सम”, भवानी भिक्षु, सिद्धिचरण श्रेष्ठ, “केदारमान” व्यथित, भीमनिधि तिवारी, माधव प्रसाद धिमिरे, प्रेमराजेश्वरी थापा, विजयबहादुर मल्ल, ऋषभदेव शास्त्री आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
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